मायूस बचपन
~ मायूस बचपन ~
१). हॉर्न बजा और गाड़ी रुकी फट से कपड़ा लेकर पोंछते हैं।
बाबूजी या आंटी जी कहते हुए रटते रहते हैं।
लोग जिद्दी क्यों कहते हैं ।
२).गुब्बारों की डोर पकड़ वो अपना बचपन भी उड़ा देते हैं।
ले लो ना सर ले लो ना सर कहते नहीं थकते हैं।
लोग जिद्दी क्यों कहते हैं ।
३). खटखट खिड़की टक टक नजरों से यह देखते हैं।
लेने का वह आमंत्रण मौन आंखों से कर देते हैं।
लोग जिद्दी क्यों कहते हैं।
४). ट्रक, गाड़ी, गुड़िया और पजल ना जाने क्या-क्या रखते हैं।
दिखाते हैं बच्चों को मगर शायद खुद बुड्ढे बन जाते हैं।
लोग जिद्दी क्यों कहते हैं ।
५). छोटी सी गुड़िया भी कभी बड़ी अम्मा बन जाती है।
ऐसे समझाती है जैसे हमें कोई बड़े समझाते हैं।
लोग जिद्दी क्यों कहते हैं।
६). पैसे मिले चीजें दी और फुर्र से उड़ जाते हैं।
तितली जैसे पंखों में दूर कहीं दूर बढ़ते जाते हैं।
लोग जिद्दी क्यों कहते हैं ।
७). इनकी भी एक दुनिया है रात को दिन समझते हैं।
जब मां की गोद में आके बच्चे बन के जीते हैं।
लोग जिद्दी क्यों कहते है।
~रतना सक्सेना

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